संसद डायरी 1 - 29-11-2021

30/11/2021

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संसद का शीतकालीन सत्र प्रारम्भ हो गया। यह आशा रहती है कि पिछले सत्रों की तुलना में इस सत्र में संसद चर्चा का बेहतर मंच बनेगी। मैंने विपक्ष के सांसद के रूप में भी काम किया है और कई बहसों में हिस्सा लिया है। लेकिन अब ऐसी स्थिति उत्पन्न हो रही जैसे विपक्ष बहस चाहता ही नहीं। पहले विपक्ष का कहना था कि कृषि कानून क्यों लाए। फिर पिछले सत्र में कृषि कानून पर चर्चा की बात कहते हुए संसद में हंगामा किया।
 
अब जब कृषि कानून रद्द किए जा रहे तब भी विपक्ष सदन को चलने नहीं दे रहा। जिस विषय को लेकर सदन में सहमति है, जिस विषय को लेकर किसी प्रकार की कोई इंक्वायरी नहीं है और जिस विषय के संबंध में किसी प्रकार का कोई स्पष्टीकरण नहीं देना है, तब उस विषय को लेकर संसद के कामकाज को नाजायज रूप से बाधित करके विपक्ष क्या संदेश देना चाहता है ? संसद में अनेक सरकारी कामकाज के साथ प्राइवेट मेम्बर के भी काम होते हैं। प्राइवेट मेम्बर को प्रश्न पूछने तथा विभिन्न विषयों पर चर्चा करने और नोटिस देने का अधिकार होता है। प्राइवेट मेम्बर बिल लाने का भी अधिकार होता है। ऐसे में विपक्ष न केवल सरकारी कामकाज को रोका है, बल्कि सांसदों के अधिकारों को भी बाधित किया है। राजनीति में ऐसी गैर-जिम्मेदाराना हरकत शर्मनाक है।
 
आखिर इस देश में व्यक्तिगत और सामूहिक स्वतंत्रता को मान्यता दी गई है। विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को भी मान्यता दी गई है। सदन में, विशेषकर राज्यसभा में, अब अक्सर यह देखने में आ रहा है कि चेयरमैन से निर्देश प्राप्त करने के बजाए अपनी सीट से खड़े होकर निर्देश देने की प्रवृत्ति विकसित होने लगी है। क्या हमें यह आत्मचिंतन नहीं करना चाहिए कि संसद कैसे चले ? और जो लोग संसद के कामकाज में व्यवधान उत्पन्न कर रहे उन्हें शायद लगता है कि वे लोकतंत्र में कोई बड़ा मानक बना रहे जबकि वास्तव में वो लोकतंत्र को नुकसान पहुंचाने का काम कर रहे हैं।
 
संसद में कल कृषि बिलों की वापसी हुई है। लेकिन कृषि बिलों की वापसी का अर्थ ये नहीं कि कृषि पर चर्चा और विमर्श के आयाम रुक गए हैं। यह विपक्ष की भूल है कि उनके पास सार्थक चर्चा का वक्त नहीं है। जब भी संसद का सत्र शुरू होता है तो अनेक मुद्दे होते हैं। मुद्दों की प्राथमिकता संसद के चेयर द्वारा तय की जाती है। लेकिन विपक्ष संसद की चेयर को ही मान्यता देने को तैयार नहीं है। इस हंगामे की राजनीति से विपक्ष को बाहर आना होगा और संसद को चलने देने की मंशा दिखानी होगी।
 
संसद में अनेक विषय प्रस्तुत किए जाने हैं। मैं तो कल तैयारी करके गया था कि वायु गुणवत्ता सहित बहुत सारे विषयों पर चर्चा होगी। ये हमारे जीवन से जुड़े अत्यंत संवेदनशील विषय हैं। अतः इन विषयों पर चर्चा का स्वागत करना आवश्यक है। मुझे लगता है कि आने वाले समय में सरकार द्वारा अपनी नीतियों को रखने के बाद विपक्ष द्वारा अपना पक्ष रखने पर एक अच्छी और सार्थक बहस व चर्चा होगी। अब इस डायरी के माध्यम से मेरा आपके साथ इस संसद सत्र में संवाद जारी रहेगा।